खड्डा : जच्चा – बच्चा की मौत के मामले में अवैध अस्पताल सील, डॉक्टर और संचालक फरार, मचा हड़कंप

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डाक टाइम्स न्यूज समाचारपत्र खड्डा कुशीनगर।

झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में यूं तो आपने खूब सुना होगा,बिना डिग्री के फर्जी अस्पताल खोलकर इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने और उनके इस गोरख धंधे बड़ी ही आसानी से फल फूल रहे है । मामला कुशीनगर जनपद के नगर पंचायत खड्डा कस्बे के नेहरू नगर मोहल्ले में स्थित नारायण हॉस्पिटल में चिकित्सकीय स्टाफ की लापरवाही के चलते जच्चा – बच्चा की मौत के मामले में डिप्टी सीएमओ डॉ . राकेश गुप्ता ने शुक्रवार को सील कर दिया । इस कार्रवाई से अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों में हड़कंप मच गया है । खड्डा कस्बे के वार्ड नम्बर पांच निवासी कांती देवी पत्नी विनोद मद्धेशिया ने दिनाँक 11 जून 2024 को जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से डीएम कुशीनगर को शिकायती पत्र देकर बताया था कि उनकी पुत्री सोनी की शादी कुशीनगर जिले के तमकुहीरोड निवासी उमेश मद्धेशिया से हुई है । जो चार बच्चों की माँ भी थी व आठ माह की गर्भवती पुत्री सोनी कुछ दिन पूर्व खड्डा मायके आई थी । चार जून को उसे प्रसव पीड़ा हुई तो वह उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तुर्कहां ले गई । वहां स्टॉफ नर्स द्वारा उसे देखा गया । उसके बाद सोनी की तबीयत बिगड़ गई तो उन्होंने उनकी पुत्री को कहीं और ले जाने के कहा ।

शिकायती पत्र 

नारायण हॉस्पिटल को सील करते डिप्टी सीएमओ

इसी दौरान सीएचसी पर मौजूद कमलेश और ज्ञानी अपने आप के नारायण हॉस्पिटल का फार्मासिस्ट बताते हुए नेहरू नगर मोहल्ला स्थित नारायण अस्पताल में ले गए। वहां उन्होंने 35 हजार रुपये की मांग की , लेकिन उनके पास 15 हजार रुपये ही थे , जिसे उन्होंने जमा कर दिया । इसके बाद अस्पताल के लोगों द्वारा किसी महिला को बुलाकर उनकी पुत्री को जोर जबरदस्ती कर बच्चा पैदा करा दी, वह भी मर हुआ । इसके बाद उनकी पुत्री की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो नारायण हॉस्पिटल वाले पडरौना स्थित अपने सम्बन्ध अस्पताल पर भेज दिए । वहां जाने पर कोई डॉक्टर मौजूद न होने पर उन्हें रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही पुत्री सोनी की मौत हो गई । नारायण हॉस्पिटल में चिकित्सकीय स्टाफ की लापरवाही के चलते जच्चा – बच्चा की मौत के मामले को संज्ञान लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी के निर्देश पर गठित टीम में डिप्टी सीएमओ डॉ . राकेश गुप्ता ने शुक्रवार को जब उक्त अस्पताल पर पहुँचे तो वहां न तो स्टॉफ मिले और न ही डॉक्टर। मौके पर अस्पताल सम्बन्धी कोई भी दस्तावेज प्राप्त नहीं हुई और अस्पताल संचालक फरार हो गया इन सभी लापरवाही को देखते हुए सीएमओ द्वारा अस्पताल को सील कर दिया गया और आगे की कार्यवाही जारी है। अब देखना यह है कि क्या इन फर्जी डॉक्टरों और अवैध हॉस्पिटलों के संचालक व वहां के स्टाफ पर क्या कार्रवाई चिकित्सा विभाग कुशीनगर द्वारा की जाती है क्योंकि आए दिन यह बार-बार सुनने को मिलता है कि किसी निजी अस्पताल में जच्चा बच्चा की मौत हो जाती है तो कहीं इलाज के दौरान मौत हो जाती है तो कहीं गलत ऑपरेशन की वजह से मौत हो जाती। स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि उक्त अस्पताल लगभग 2 साल से संचालित होता आ रहा है और जब एसीएमओ की टीम उक्त अस्पताल पर पहुंचकर अस्पताल रजिस्ट्रेशन से संबंधित दस्तावेज की मांग करती है तो वहां के संचालक, डॉक्टर सभी गायब हो जाते हैं और अस्पताल से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिलता है। तो आखिर किसके सह पर यह अवैध अस्पताल संचालित हो रहा है, अगर इसकी भी जांच हो तो पूरा का पूरा काला चिट्ठा खुल जाएगा और मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं होगा।