मनुष्य के कर्म ही जीवित रहते हैं, जो जैसा कर्म करता है वैसा ही फल मिलता है : राधेश्याम शास्त्री

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डाक टाइम्स न्यूज कप्तानगंज कुशीनगर। ग्राम सभा पकड़ी में कई दिनों से हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के क्रम में राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि ” बड़े भाग्य मानुष तन पावा “ मुनष्य का जीवन बहुत ही अच्छे कर्मों के बाद मिला है। चौरासी लाख योनियों में मुनष्य का जीवन सर्व श्रेष्ठ माना गया है। मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेने के पश्चात धरातल पर मनुष्य के कर्म ही जीवित रहते हैं। मुनष्य के रुप में अवतरित हुए श्रीकृष्ण द्वारा जिन जिन स्थानों पर लीला किया गया है वह धरती, चंद्रमा,पहाड़ आदि आज भी सनातन के साक्ष्य के रुप में जीवित है। खेल खेलते समय यमुना जी में गेंद चला गया उसको लेने के लिए श्रीकृष्ण भगवान यमुना जी में कूद गए और वहां से कालियानाग पर सवार होकर नृत्य करते हुए गेंद को लेकर वापस यमुना तट पर आ गए। जिस यमुना जी ने श्रीकृष्ण भगवान को देखा और जाना तथा उनका स्पर्श कर अपने आप को कृतार्थ समझा वह आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। कालियानाग को भगाना अर्थात अपने कर्म और कर्तव्य और उसकी सफलता या विफलता से उत्पन्न अहंकार अथवा विषाद को भगाना ही कालियानाग को भगाने की कथा है। इस दौरान प्रधान प्रतिनिधि आनंद सिंह, प्रधान शर्मिला सिंह, आशुतोष सिंह, विजय प्रताप सिंह, छोटेलाल मद्धेशिया सहित आदि भक्तगण उपस्थित रहें।