डाक टाइम्स न्यूज समाचार पत्र कप्तानगंज कुशीनगर। जी हां ये कहना लाजमी है कि खबर प्रकाशित होने और सूचना के बाद भी विभागीय/संबधित अधिकारी हरकत में नहीं दिखे या यू कहे कि गाय के मरने का इंतजार नहीं न कर रहे।
ठंड में ईधर उधर लावारिस भटक रहीं गाय
आपको बताते दें कि दिनाँक 14 जनवरी 2024 को डाक टाइम्स न्यूज समाचार पत्र में प्रकशित शीर्षक ” कई महिनों से सड़कों पर इधर उधर सर्दी में रात बिता रहीं बेसहारा पशु” को बहुत ही प्राथमिकता के साथ प्रकशित किया गया था। लेकिन फिर भी कप्तानगंज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा भड़सर खास में पिछले कई महीनों से एक बेसहारा पशु इधर उधर भटक कर अपनी रात गुजार रहीं है। सर्दी के मौसम में स्थायी निवास न मिलने के कारण बेसहारा पशु सड़कों पर रात बिताने को मजबूर हैं। जिला/तहसील/प्रशासन की तरफ से पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया है। ऐसे में पशु कचरे के ढेरों में मुंह मारते रहते हैं। सुबह धूप निकलते ही पशु सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं, जिससे हादसों का खतरा बना रहता है। सुबह और शाम को धुंध होने लगी है। ऐसे में वाहन चालकों के साथ पशुओं की टक्कर हो जाती है। जो पशु हादसों में घायल हो
जाते हैं, उनके इलाज को लेकर भी कोई प्रबंध प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया है। जिला/तहसील प्रशासन की तरफ से लंबे समय से बेसहारा पशुओं को पकड़ने का अभियान नहीं चलाया गया। कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव डॉ चंद्रभूषण द्वारा कप्तानगंज नगर में स्थित कान्हा पशु आश्रय का निरीक्षण किया गया, ताकि सभी पशु सर्दी के मौसम में सुरक्षित रहें लेकिन इस भीषण ठंड में तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा भड़सर खास में पिछले कई महीनों से एक बेसहारा पशु अनाथ की तरह इधर उधर घूम रहीं हैं, खबर प्रकशित होने और अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी जिला/तहसील प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है या यू कहे कि संबधित विभाग उक्त लावारिस और बेसहारा गाय के मरने का इंतजार कर रहे हैं। सर्दियों का मौसम चल रहा है, लगभग कई दिन से लगातार कड़ाके की ठंड पड़ रही व भयंकर कोहरा छा रहा हैं, ठंड की चादर में आमजन का जीवन लिपटा हुआ है, रात में बर्फ तक जम जाती हैं, जनमानस तो ठंड से बचने के लिए अलग-अलग उपाय कर लेता हैं। परन्तु सवाल तो यह है कि पशु पक्षी जीव जंतुओं में भी आत्मा हैं और उन्हें भी ठंड लगती हैं, इनमें से एक गौवंश भी हैं, हिंदू धर्म में गाय को गौमाता का दर्जा मिला है और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग गाय को अपनी माता मानते और उसकी पूजा अर्चना करते, हिंदु धर्म को मानने वालों का यह मत है की गाय में 33 कोटि देवता विराजमान हैं, इसके उपरान्त भी गौमाता दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर। सरकार भी समय समय पर लगातार गायों के लिए सुरक्षा का प्रबन्ध करती और गौशालाओं में अनुदान भी देती है, और लगभग सभी शहरों में गौशालाएं संचालित भी हैं इसके बाद भी गौमाता (गौवंश) की हालत बहुत ही दर्दनात्मक है। आज के समय में गौमाता सड़कों और चौराहों पर घूमने को मजबूर है, ठंड से हालत यह कि कहीं भी जलती आग के सामने गौमाता खड़ी होकर तापने को मजबूर हैं, और चारा नहीं मिलने से सड़क पर पड़े कचरे व पॉलिथीन खा कर अपना पेट भरती हैं, सड़े गले कचरे पॉलिथीन को खाने से बीमार पड़ जाती हैं और दर्दनाक मौत हो जाती।