डाक टाइम्स न्यूज समाचारपत्र ब्यूरो कुशीनगर।
- अब आंतरिक परिवाद का गठन किया जाना होगा आवश्यक
- 10 से अधिक कर्मियों की संख्या वाले विभागों,संगठनों, उद्यम, संस्थाओं,शाखाओं,में गठित करनी होगी समिति
- उक्त समिति का गठन नही किए जाने पर होगा भारी जुर्माना
जिला प्रवेशन अधिकारी विनय कुमार ने बताया कि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम-2013 के अनुपालन में अधिनियम-2013 की धारा-4 के अन्तर्गत दिये गये प्राविधानों के अनुसार ऐसे प्रत्येक शासकीय या अशासकीय (निजी) विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, शाखा अथवा यूनिट में जहां कार्मिकों की संख्या 10 से अधिक है, ऐसे सभी कार्यालयों के नियोजकों द्वारा ‘आन्तरिक परिवाद समिति” (Internal Complaints Committee) का गठन किया जाना है तथा यदि कोई नियोजक अपने कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक परिवाद समिति का गठन न किये जाने पर सिद्ध दोष ठहराया जाता है, तो नियोजक पर प्रथम बार में रू0 50,000/- तक का अर्थदण्ड, दूसरी बार में रू0 100000/- तक का अर्थदण्ड तथा तीसरी बार में दोषी पाये जाने पर रजिस्ट्रेशन / पंजीकरण रद्द करने का प्राविधान है।जिला प्रवेशन अधिकारी ने बताया की उक्त के अनुपालन में सभी सम्बन्धित अधिनियम-2013 की धारा-4 के अन्तर्गत दिये गये प्राविधानों के अनुसार अपने कार्यालय में आन्तरिक परिवाद समिति (ICC) का गठन एक सप्ताह के अन्दर कराकर विवरण जिला प्रावेशन अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएं, अन्यथा जाँच में दोषी पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।